मेवाड़ का इतिहास – 28
– जगतसिंह II के उत्तराधिकारी राजसिंह II थे।
– राजसिंह II के उत्तराधिकारी अरिसिंह थे।
अरिसिंह (1761 – 1773 ई.)
– अरिसिंह का ग्रन्थ – रसिक चमन
रसिक चमन – यह ग्रन्थ अरिसिंह किशनगढ़ शासक नागरीदास / सावंतसिंह के ग्रन्थ ईश्क चमन के उत्तर में लिखा।
– दुश्मन भंजन तोप – अरिसिंह के काल में निर्मित
– अरि बटालियन (1768 ई.) – मेवाड़ सामंतों के नाखुश होने के कारण अरिसिंह ने गुजरात व सिंध के मुसलमानों की एक सेना बनाई।
– कोटा के झाला जालिमसिंह को शरण देकर चीता खेड़ा की जागीर दी।
– 1773 ई. में शिकार के दौरान बूँदी शासक अजीतसिंह ने अरिसिंह की हत्या की।
महाराणा हम्मीर II (1773-1778 ई.)
– अवयस्क शासक।
– इनके शासनकाल में मेवाड़ राजकार्य अमरचंद बड़वा व इनकी राजमाता की देखरेख में संचालित किया।
– इन्हीं के शासनकाल में अमरचंद बड़वा की हत्या हुई।
– अमरचंद बड़वा ने बागोर हवेली (उदयपुर) का निर्माण करवाया।
– इस हवेली में विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी स्थित है।
– वर्ष 1986 में पश्चिम का सांस्कृतिक केन्द्र बनाया गया।
महाराणा भीमसिंह (1778-1828 ई.)
– इनका राज्याभिषेक 7 जनवरी, 1778 ई. में हुआ।
– 1818 ई. में अंग्रेजों के साथ आश्रित पार्थक्य संधि करने वाले शासक।
– कर्नल जेम्स टॉड इनके शासनकाल में मेवाड़ के पॉलिटिकल एजेंट बनकर 1818 ई. में उदयपुर आए।
– कर्नल जेम्स टॉड ने भीमसिंह के बारे में कहा – “मेवाड़ का राजकार्य चलाने के लिए इन्हें कोटा के झालिम सिंह से पैसे लेने पड़ते थे।”
– महाराणा भीमसिंह ने उदयपुर राज्य का राजकोष इंदौर के सेठ जोखरमल को सौंपा।
– इनके शासनकाल में किशना आढ़ा ने भीम विलास ग्रन्थ की रचना की।
– इनकी रानी पद्मेश्वरी ने पिछोला झील के किनारे पद्मेश्वरी शिवालय का निर्माण करवाया।
– कृष्णा कुमारी मेवाड़ शासक महाराणा भीमसिंह की पुत्री जिसका विवाह जोधपुर के शासक भीमसिंह राठौड़ के साथ तय हुआ परन्तु विवाह पूर्व ही भीमसिंह की मृत्यु हो गई।
भीमसिंह के पश्चात् जोधपुर का उत्तराधिकारी मानसिंह राठौड़ बना।
– भीमसिंह राठौड़ की मृत्यु के पश्चात् कृष्णा कुमारी की सगाई जयपुर शासक सवाई जगतसिंह के साथ की गई।
– मानसिंह राठौड़ ने इस विवाह का विरोध किया।
– जयपुर व जोधपुर रियासत के मध्य कृष्णा कुमारी को लेकर युद्ध हुआ।
गिंगोली का युद्ध (मार्च 1807 ई.)
– स्थान – परबतसर (नागौर)
– मानसिंह राठौड़ तथा सवाई जगतसिंह के मध्य यह युद्ध हुआ जिसमें सवाई जगतसिंह की विजय हुई।
– इस युद्ध में अमीर खाँ पिण्डारी व सूरतसिंह (बीकानेर) ने सवाई जयसिंह का साथ दिया।
– इस युद्ध में हार के पश्चात मानसिंह राठौड़ ने मेवाड़ पर आक्रमण की योजना बनाई।
– विवाद को रोकने हेतु अजीतसिंह चुण्डावत व अमीर खाँ पिण्डारी के कहने पर 21 जुलाई, 1810 ई. को कृष्णा कुमारी को जहर दिया गया।
– 30 मार्च, 1828 ई. को महाराणा भीमसिंह की मृत्यु हुई।