मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास 4

अल्लट

–  भृतपट्ट द्वितीय के पुत्र

–  उपाधि – आलु रावल

–  प्रथम शासक जिन्होंने नौकरशाही का गठन किया।

–  प्रथम शासक जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विवाह किया। इनका विवाह हूण राजकुमारी हरियादेवी से हुआ था।

–  इन्होनें आहड़ को अपनी राजधानी बनाई।

–  इनके शासनकाल में आहड़ में सारणेश्वर मंदिर का शिलालेख प्राप्त हुआ।

 




–  जगत अम्बिका मन्दिर – जगत गाँव- उदयपुर

–  निर्माण – अल्लट द्वारा

–  मेवाड़ का खजुराहो

–  इस मन्दिर को शक्तिपीठ भी कहा जाता है।

–  अल्लट के पश्चात उत्तराधिकारी – नरवहन, शालवाहिन II हुए थे।

–  शक्ति कुमार – मालवा के शासक मुंज परमार ने शक्तिकुमार को पराजित किया था। उस आक्रमण के समय राष्ट्रकूट शासक धवल ने शक्ति कुमार की सहायता की थी।

–  मुंज परमार के छोटे भाई नरसंवसाक के पुत्र भोज परमार (त्रिभुवन परमार) ने चित्तौड़गढ़ में त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में मोकल मंदिर के नाम से जाना जाता है।

 




–  शक्ति कुमार के पश्चात बनने वाले उत्तराधिकारी अम्बा प्रसाद, शुचि वर्मा, हस्तपाल हुए थे।

–  वैरिसिंह – आहड़ नगर के परकोटे का निर्माण करवाया।

–  विजय सिंह

–  रण सिंह – इन्हे कर्णसिंह नाम से भी जाना जाता  है।

–  रावल सामंत सिंह-

–  पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बहनोई।

–  पृथ्वीराज तृतीय की बहन का नाम – पृथ्वी बाई प्रभा था।

–  तराइन के प्रथम युद्ध 1191 ई. में पृथ्वीराज III का सहयोग करने वाले मेवाड़ के शासक। इस युद्ध में सामंतसिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे।

 




–  सामंत सिंह के समकालीन जालौर के शासक कीर्तिपाल चौहान थे।

–  कीर्तिपाल चौहान ने सामंतसिंह को पराजित कर आहड़ पर अधिकार कर लिया।

–  सामंत सिंह के उत्तराधिकारी कुमार सिंह ने आहड़ पर पुन: अधिकार स्थापित किया।

रावल जैत्रसिंह 1213-1253 ई.

–  मध्यकालीन मेवाड़ का स्वर्णकाल

–  इन्हे पाँच आँखों का शासक कहा जाता है।

–  राजधानी – चित्तौड़गढ़ बनाने वाला प्रथम शासक

–  डॉ.दशरथ शर्मा ने रावल जैत्रसिंह को चित्तौड़गढ़ का प्रथम विजेता कहा है।

–  इनके समकालीन दिल्ली शासक इल्तुतमिश था।

 




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