मेवाड़ का इतिहास -7
– शासनकाल-1302 ई. 1303 ई.
– रावल रतनसिंह का दरबारी विद्वान राघव चेतन था।
– रानी पद्मिनी सिंहले द्वीप (श्रीलंका) के राजा गंधर्वसेन व रानी चंपावती की पुत्री थी।
– पद्मिनी की सुन्दरता का बखान हीरामन जाति का तोला करता था।
– रानी पद्मिनी की जानकारी रतनिसंह को राघव चेतन ने दी।
– रानी पद्मिनी रतनसिंह का गधर्व विवाह हुआ।
– पद्मिनी व रतनसिंह के विवाह के पश्चात् गौरा-बादल व 1600 महिलाऐं पद्मिनी के साथ मेवाड़ आई।
– राघव चेतन जादू-टोने की विद्या जानता था जिसका पता चलने पर रतनसिंह ने राघव चेतन को मेवाड़ छोड़ने का आदेश दिया तत्पश्चात् राघव चेतन A.K. की शरण में गया।
– अलाउद्दीन को पद्मिनी की जानकारी राघव चेतन से मिली।
– मलिक मोहम्मद जायसी के ग्रन्थ पद्मावत के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण पद्मिनी को पाने हेतु किया।
– अलाउद्दीन खिलजी की सेना आक्रमण हेतु 28 जनवरी 1303 को रवाना हुई जबकि 26 अगस्त, 1303 को चित्तौड़ विजय प्राप्त हुई।
– A.K. के आक्रमण के समय रतनिसंह के सेनापति गौरा-बादल (चाचा-भतिजा) थे ने केसरिया किया और इस आक्रमण के समय रतनसिंह और गौरा व बादल लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
– पद्मिनी ने 1600 महिलाओं के साथ 26 अगस्त 1303 को जौहर किया जो मेवाड़ का प्रथम शाका एवं इतिहास का सबसे बड़ा जौहर कहलाता है।
– ग्रन्थ पद्मावत में इस युद्ध में रतनिसंह को हृदय, पद्मिनी की बुद्धि व अलाउद्दीन को माया कहा गया है।
– चित्तौड़ विजय के पश्चात् A.K. ने गंभीरी नदी पर बांध बनवाया।
– चित्तौड़गढ़ में था बाई वीर की दरगाह पर शिलालेख लिखवाया।
– A.K. के समय सिसोदा के सांमत लक्ष्मणिसंह सिसोदिया अपने सात पुत्रो के साथ वीरगति को प्राप्त हुए G.H.ओझा इस मत का खण्डन करते हुए इसे एक काल्पनिक घटना बताते है एवं आक्रमण का कारण गुजरता तक A.K. का अधिकार करने की इच्छा बताते है।
– गोपीनाथ शर्मा इस घटना को काल्पनिक नहीं मानते है।
– डॉ. दशरथ शर्मा ने मलिक मोहम्मद जायसी के ग्रंथ पद्मावत का समर्थन करते हुए अबुल फजल के ग्रन्थ ‘आईने अकबरी’ का विवरण भी प्रस्तुत करते है।
– डॉ. दशरत शर्मा के अनुसार चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण का मुख्य कारण दुर्ग का सामरिक महत्व था।
– A.K. की चित्तौड़ विजय का सजीव वर्णन अमीर खुसरो ने अपने ग्रन्थ ‘खजाईन-उल-फुतूह’ में किया।
– 1303 ई. -1313 ई. तक चित्तौड़गढ़ पर शासन अलाउद्दीन के पुत्र खिज्र खाँ ने किया।
– 1313 ई. 1320 ई. तक चित्तौड़ शासक मालदेव (जालौर शासक कान्हड़देव का भाई) रहा।
– मालदेव ने सिसोदा सामन्त हम्मीर के साथ अपनी पुत्री का विवाह किया।
– 1320 ई.-1326 ई. तक चितौड़गढ़ पर जैसासिंह का अधिकार रहा।
– हम्मीर देव चौहान ने जैसासिंह को पराजित कर चित्तौड़गढ़ पर अधिकार किया।
– रावल शाखा का अंतिम शासक रतनसिंह था।