मेवाड़ का इतिहास – 8
राणा हम्मीर (1326-1364 ई.):-
उपाधि – विषमधारी पंचनानी, (शाब्दिक अर्थ – विषम समय में सिंह के समान रहने वाला), कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति।
वीर- रसिक प्रिया टीका।
इन्हें छापामार/गुरीला युद्ध पद्धति का जनक कहा जाता है।
राणा हम्मीर सिसोंदा/राणा सता का संस्थापक था।
इन्हे मेवाड़ का उद्धारक भी कहा जाता है।
राणा हम्मीर ने अन्नापूर्णा माता मंदिर का निर्माण करवाया था।
कर्नल जेम्स टॉड ने हम्मीर के लिए लिखा कि “भारत में हम्मीर ही एक प्रबल राजा बचा है, बाकि राजवंश नष्ट हो गये।“
1364 ई. में हम्मीर की मृत्यु हो गई।
लक्ष्मणसिंह/राणा लाखा (1382-1421 ई.):-
इन्हें गौरवदान गरिमादान पद्धति का जनक कहा जाता है।
राणा लाखा के काल में पिछु बन्जारे ने उदयपुर में पिछौला झील का निर्माण करवाया।
इनके शासन काल में जावर (उदयपुर) में चाँदी की खान निकली।
राणा लाखा ने दिल्ली शासक ग्यासुद्दीन तुगलक को पराजित किया।
धनेश्वर भट्ट व झोटिग भट्ट राणा लाखा के दरबारी विद्वान थे।